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(POCSO Act) Know all about बाल यौन शोषण

आज का हमारा पोस्ट विशेष रूप से ध्यान रखें POCSO Act से कानूनी रूप से कैसे निपटे उस पर आधारित है। ध्यान रखें बाल यौन शोषण जैसी घटनाएं हमारे मौजूदा हालात (Lockdown) में भी बढ़ रही है। POCSO Act चर्चा में क्यों? POCSO Act क्या है?

आज का हमारा पोस्ट विशेष रूप से बाल यौन शोषण और चाइल्ड पोर्नोग्राफी (child pornography) सहित अन्य अपराधों  से कानूनी रूप से कैसे निपटे उस पर आधारित है। यह सुरक्षा उस मासूम वर्ग से जुड़ी है जो अपनी आवाज खुद उठाने में सक्षम ना हों। यह वह वर्ग है जो राष्ट्र का कल है। उस कल की अनदेखी करना किसी भी देश के हित में नहीं हो सकता, इस कारण बीते दिनों यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण यानि  POCSO अधिनियम  में संशोधन को संसद द्वारा पारित किया गया।

POCSO Act  की जरूरत क्यों पड़ी???

देश में बच्चों के साथ हो रही लैंगिक अपराध को रोकने के लिए पॉक्सो एक्ट-2012 को बनाया गया था। इस एक्ट को बनाना इसलिए भी जरुरी था क्योंकि बच्चे बहुत ही मासूम होते हैं और आसानी से लोगों के बहकावे में आ जाते हैं।  और तो और बच्चे डर के कारण उनके साथ हुए शोषण को माँ बाप को बताते भी नहीं हैं। ज्यादातर मामलों में ये पता चला है कि बच्चों का शोषण जान पहचान के लोग ज्यादा करते हैं और घर के लोग उन पर शक भी नहीं करते है। इसलिए माता-पिता का यह दायित्व बनता है कि बच्चे जिन लोगों के साथ खेल रहे हैं उन पर पूरी नज़र रखें।

Know everything about POCSO Act, 2012

POCSO Act (Protection Of Child from Sexual Offence Act) अथार्थ “लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम” जो 2012 में बच्चों को यौन- शोषण सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था।  इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाती है। इसलिए यह एक्ट बच्चों को Sexual  harassment, Sexual assault, Pornography  जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।18  साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। इसमें यौन शोषण को इस प्रकार परिभाषित किया गया है- इसमें यौन उत्पीड़न और अश्लील साहित्य,सेक्सुअल गैर सेक्सुअल (penetrative Sexual assault and non- penetrative sexual assault) हमला को शामिल किया गया है।

  • POCSO अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किये गए हैं जिनमें बच्चों के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किये जाने पर सात साल सज़ा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया है।
  • POCSO Act की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गंभीर चोट पहुंचाई गई हो। इसमें 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • POCSO अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेड़छाड़ की जाती है, इसके आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सज़ा और जुर्माना सकता है।

POCSO संशोधन विधेयक 2019- The Bill  amends the Protection of Children from Sexual Offences Act,2012

18 जुलाई, 2019 को महिला एवं बाल विकास मंत्री, स्मृति जुबिन ईरानी द्वारा राज्यसभा में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया गया था। विधेयक यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन है।

  • गंभीर पेनेट्रेटिव यौन हमला (Aggravated Penetrative Sexual assault):

इसके अंतर्गत पुलिस अधिकारी,सशस्त्र सेनाओं के सदस्य या पब्लिक सर्वेंट किसी बच्चें पर यदि यौन हमला करते हैं तो उसे गंभीर पेनेट्रेटिव यौन हमला जाएगा। साथ ही इसमें ऐसे मामले भी शामिल हैं जहाँ अपराधी बच्चे का सम्बन्धी हो ,या हमले से बच्चे के सेक्सुअल ऑर्गन घायल हो जाये या बच्ची गर्भवती जाये इत्यादि। इसके साथ बच्चे की मौत और प्राकृतिक आपदा के दौरान किया गया यौन हमला भी शामिल किया गया है।

The Bill increases the minimum punishment from 10 years to 20 years, and the maximum punishment to death penalty.

  • गंभीर  यौन हमला ( Aggravated Sexual assault):

यदि कोई व्यक्ति पेनेट्रेटिव के बिना किसी बच्चे के वेजाइना, पेनिस, एनस या ब्रेस्ट को छूता है तो गंभीर यौन हमला माना जायेगा,जिनमे अपराधी बच्चे का संबंधी होता है या जिनमें बच्चे के सेक्सुअल ऑर्गन घायल हो जाते हैं,इत्यादि। इस बिल में गंभीर यौन हमले प्राकृतिक आपदा के दौरान किया गया हमला और जल्दी यौन परिपक़्वता लाने के लिए बच्चे को हॉर्मोन या  कोई दूसरा chemical substance देना या दिलवाना शामिल है।

– If a person commits “penetrative sexual assault,” the minimum punishment in such cases has been increased from 7 years to 10 years.

– If such a crime has been commited on a child below the age of 16 years, then the punishment will be imprisonment between 20 years to life.

Pornographic purposes: इस एक्ट के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति यौन सुख पाने के लिए किसी प्रकार के मीडिया में बच्चों का इस्तेमाल करता है तो वह पोर्नोग्राफिक उद्देश्य के लिए बच्चों का इस्तेमाल करने का दोषी ठहराया जाएगा। इस एक्ट में उन लोगो को भी सजा देने का प्रावधान किया गया है, जो पोर्नोग्राफिक उद्देश्य के लिए बच्चों का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर यौन हमला करते है। इस एक्ट में Commercial purpose के लिए पोर्नोग्राफिक सामग्री का स्टोरेज करने पर सजा का प्रावधान किया गया है।

-If a person commits such cases, then the minimum punishment has been increased from 3 years to 5 years.

Most online content on child sexual abuse from India:  

In a global compilation of reports of child sexual abuse material (CSAM) found online, India stands right ontop of the list, with 11.7% of the total reports or at 19.87 lakh reports, followed by pakistan, which contributes 6.8% of all reports (11.5 lakh reports).

Bangladesh comes in fourth with 5.5 lakh reports and a share of 3.3%.

POCSO Act 2019

At last, बच्चों के साथ हो रहे इस शर्मनाक यौन अपराधों ,बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलो पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। इस अपराध को खत्म करने के लिए हम सबको को सजग और जागरूक होने की जरुरत है।

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Neelam Mehta

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