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झारखंड उच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई? | Jharkhand Uchch Nyayalay Ki Sthapna Kab Hui?

झारखंड उच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई? जानिए Jharkhand High Court की स्थापना तिथि, इसका इतिहास, मुख्य न्यायाधीश, और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य इस लेख में।

Introduction:-

Jharkhand Uchch Nyayalay Ki Sthapna Kab Hui:- झारखंड उच्च न्यायालय की स्थापना 15 नवंबर 2000 को हुई थी. यह झारखंड राज्य का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है, जिसे बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के तहत गठित किया गया था. जब झारखंड को बिहार से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया, तब इसके लिए एक स्वतंत्र उच्च न्यायालय की भी आवश्यकता थी. इस प्रकार, झारखंड हाई कोर्ट की स्थापना की गई. आइए आपको इसके बारे में कुछ अन्य जानकारियाँ प्रदान करते है. जो आपको अवश्य जान लेनी चाहिए.

Jharkhand Uchch Nyayalay Ki Sthapna Kab Hui
Jharkhand Uchch Nyayalay Ki Sthapna Kab Hui

झारखंड उच्च न्यायालय का इतिहास (History of Jharkhand Uchch Nyayalay)

  • बिहार का विभाजन: 15 नवंबर 2000 को झारखंड को बिहार से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया.
  • नए उच्च न्यायालय की जरूरत: चूंकि झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा मिला, इसलिए इसके लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता थी.
  • स्थापना: झारखंड उच्च न्यायालय को औपचारिक रूप से 15 नवंबर 2000 को कार्यरत किया गया.

झारखंड उच्च न्यायालय का स्थान और भवन (Location and Building of Jharkhand Uchch Nyayalay)

झारखंड उच्च न्यायालय रांची में स्थित है, जो राज्य की राजधानी भी है. यह अदालत डोरंडा, रांची में स्थित अपने वर्तमान भवन में कार्यरत है.

झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justices of Jharkhand High Court)

झारखंड उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनोद कुमार गुप्ता थे. समय-समय पर कई न्यायाधीशों ने इस पद को संभाला है.

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झारखंड उच्च न्यायालय के कार्य और अधिकार (Functions and Powers of Jharkhand Uchch Nyayalay)

  1. संविधान की रक्षा करना: यह संविधान के तहत राज्य में कानूनों की व्याख्या करता है.
  2. मौलिक अधिकारों की सुरक्षा: अगर किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह इस न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है.
  3. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review): यह न्यायालय किसी भी कानून को असंवैधानिक घोषित कर सकता है.
  4. अपील सुनवाई: निचली अदालतों के फैसलों के खिलाफ यहां अपील की जा सकती है.
  5. सरकारी संस्थानों पर निगरानी: यह राज्य सरकार और उसकी संस्थाओं के कार्यों पर नजर रखता है.

झारखंड उच्च न्यायालय का महत्व (Significance of Jharkhand Uchch Nyayalay)

  • यह झारखंड में न्यायिक प्रणाली का केंद्र है.
  • नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है.
  • राज्य सरकार और प्रशासन की गतिविधियों की न्यायिक समीक्षा करता है.
  • निचली अदालतों द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील यहीं सुनी जाती है.

झारखंड उच्च न्यायालय से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts About Jharkhand Uchch Nyayalay)

  • स्थापना: 15 नवंबर 2000
  • स्थान: रांची, झारखंड
  • पहला मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति विनोद कुमार गुप्ता
  • वर्तमान मुख्य न्यायाधीश: (ताजा जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखें)
  • अधिकार क्षेत्र: झारखंड राज्य

निष्कर्ष: Jharkhand Uchch Nyayalay

झारखंड उच्च न्यायालय राज्य की न्यायिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ है. इसकी स्थापना 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य के गठन के साथ हुई थी. यह न्यायालय नागरिकों को न्याय दिलाने और संविधान की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. झारखंड हाई कोर्ट राज्य सरकार की गतिविधियों की निगरानी करता है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करता है. उम्मीद है अब आपको पता चल गया होगा की “Jharkhand Uchch Nyayalay Ki Sthapna Kab Hui” तो हमे कमेन्ट मे जरूर से बाताए, हम मिलेंगे जल्द ही एक और नई अपडेट और महत्वपूर्ण जानकारी के साथ, तब तक घर रहे सुरक्षित रहे, धन्यवाद.

FAQs: Jharkhand Uchch Nyayalay

Q-1: झारखंड उच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई?

Ans: झारखंड उच्च न्यायालय की स्थापना 15 नवंबर 2000 को हुई थी.

Q-2: झारखंड उच्च न्यायालय कहां स्थित है?

Ans: यह रांची, झारखंड में स्थित है.

Q-3: झारखंड उच्च न्यायालय का पहला मुख्य न्यायाधीश कौन था?

Ans: न्यायमूर्ति विनोद कुमार गुप्ता पहले मुख्य न्यायाधीश थे.

Q-4: क्या झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?

Ans: हां, अगर कोई व्यक्ति झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो वह सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है.

Q-5: झारखंड उच्च न्यायालय के अधिकार क्या हैं?

Ans: यह संविधान की व्याख्या करता है, मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, न्यायिक समीक्षा करता है और निचली अदालतों के निर्णयों की अपील सुनता है.

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