किस आंदोलन की शुरुआत डांडी मार्च से हुई थी? | Kis Aandolan ki Shuruaat Dandi March se hui thi?
डांडी मार्च किस आंदोलन की शुरुआत थी? जानिए डांडी मार्च से जुड़े इतिहास, उद्देश्य और इसके प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी.

Contents
Introduction:-
Kis Aandolan ki Shuruaat Dandi March se hui thi:- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में डांडी मार्च का एक महत्वपूर्ण स्थान है. यह एक ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन था, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी. डांडी मार्च की शुरुआत महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को की थी, और इसी से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई. इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए अन्यायपूर्ण नमक कानून का विरोध करना था. आइए आपको इसके बारे में अन्य जानकारियों की बारे में बताते है, जो आपके लिए जानना बेहद ज्यादा जरूरी है. जानने के लिए बने रहे इस लेख में अंत तक, चलिए अब इसे शुरू करते है.

डांडी मार्च की पृष्ठभूमि (Background of Dandi March)
ब्रिटिश शासन ने भारत में कई दमनकारी कानून बनाए थे, जिनमें से एक नमक कानून था. इस कानून के तहत भारतीयों को नमक बनाने या बेचने की अनुमति नहीं थी और उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा निर्धारित ऊँची कीमत पर ही नमक खरीदना पड़ता था.
महात्मा गांधी ने इसे भारत के लोगों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ माना और नमक सत्याग्रह के रूप में सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा की. इस आंदोलन की शुरुआत डांडी मार्च से हुई थी.
डांडी मार्च की शुरुआत और यात्रा का विवरण
महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को गुजरात के साबरमती आश्रम से अपने 78 अनुयायियों के साथ पैदल यात्रा शुरू की. यह यात्रा लगभग 24 दिनों में 385 किलोमीटर की दूरी तय करके 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के डांडी गांव पहुंची. वहां उन्होंने समुद्र तट पर पहुंचकर नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की.
सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव (Impact of civil disobedience movement)
डांडी मार्च के बाद पूरे देश में ब्रिटिश कानूनों का विरोध होने लगा और नमक सत्याग्रह देशव्यापी आंदोलन बन गया. इस आंदोलन का असर इस प्रकार पड़ा:
- जनता में आत्मनिर्भरता की भावना जगी – लोगों ने खुद नमक बनाना शुरू किया और ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार किया.
- अंग्रेजों की अर्थव्यवस्था को झटका लगा – विदेशी वस्त्रों और नमक की बिक्री में भारी गिरावट आई.
- ब्रिटिश सरकार को आंदोलन दबाने में कठिनाई हुई – लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में भाग लिया, जिससे ब्रिटिश शासन के लिए इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो गया.
- महात्मा गांधी समेत हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार किया गया – सरकार ने आंदोलनकारियों को दबाने के लिए दमनकारी नीति अपनाई, लेकिन इससे आंदोलन और मजबूत हुआ.
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डांडी मार्च और स्वतंत्रता संग्राम में इसका योगदान
डांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी. इसने भारतीय जनता को स्वतंत्रता के लिए संगठित किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना हुई.
डांडी मार्च से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- 12 मार्च 1930: महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से डांडी मार्च की शुरुआत की.
- 6 अप्रैल 1930: गांधीजी ने डांडी पहुंचकर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा.
- यह आंदोलन पूरे देश में फैला और लाखों लोगों ने भाग लिया.
- यह पहला राष्ट्रव्यापी आंदोलन था, जिसमें महिलाओं ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई.
डांडी मार्च और महात्मा गांधी के विचार
महात्मा गांधी का मानना था कि अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाया जा सकता है. उन्होंने इस आंदोलन को आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान से जोड़ा और जनता को प्रेरित किया कि वे अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष करें.
डांडी मार्च से जुड़े प्रमुख नेता
- महात्मा गांधी – आंदोलन के नेतृत्वकर्ता
- सरोजिनी नायडू – महिलाओं की भागीदारी को प्रेरित करने वाली प्रमुख नेता
- विनोबा भावे – सत्याग्रह आंदोलन के समर्थक
- सी. राजगोपालाचारी – दक्षिण भारत में आंदोलन के प्रमुख नेता
डांडी मार्च केवल एक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय था. इसने भारत की जनता में स्वतंत्रता की भावना को और मजबूत किया और अंग्रेजों को यह दिखा दिया कि भारत अब अधिक समय तक गुलामी सहन नहीं करेगा.
निष्कर्ष:
डांडी मार्च भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इस आंदोलन ने भारतीय जनता को संगठित किया और स्वतंत्रता की लड़ाई को और मजबूत किया. महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए इस मार्च ने यह साबित कर दिया कि शांतिपूर्ण संघर्ष के माध्यम से भी अत्याचारी शासन का विरोध किया जा सकता है. उम्मीद है अब आपको पता चल गया होगा की “Kis Aandolan ki Shuruaat Dandi March se hui thi” तो हमे कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताए, हम मिलेंगे जल्द ही एक और नई अपडेट और महत्वपूर्ण जानकारी के साथ तब तक घर रहे सुरक्षित रहे, धन्यवाद.
FAQs:
Ans: डांडी मार्च 12 मार्च 1930 को ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का विरोध करने के लिए शुरू हुआ.
Ans: यह मार्च लगभग 385 किलोमीटर लंबा था, जो साबरमती आश्रम से डांडी गांव तक गया.
Ans: डांडी मार्च से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी.
Ans: गांधीजी के साथ शुरुआत में 78 अनुयायी थे, लेकिन आगे चलकर हजारों लोग इसमें शामिल हो गए.
Ans: इस आंदोलन ने भारतीय जनता को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया और ब्रिटिश सरकार को भारतीयों की एकता और ताकत का एहसास कराया.