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पुरस्कार कहानी की मूल संवेदना क्या है | Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai?

Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai? – पुरस्कार कहानी में मूल संवेदना का मतलब यह है की कवी अपनी कहानी में क्या कहना चाहता है. जिसको हम संवेदना के नाम से जानते है और रही बात कहानी की तो इसमें लेखक क्या कहना चाहता है इसके बारे में आगे जानने वाले है.

जैसा की आप सभी को पता ही है की हमारे देश में बहुत से कवी आये और गये है. लेकिन उनमे से कुछ कवी ने ऐसी कहानियां लिखी. जिसका कोई जवाब ही नहीं है. उन्ही कहानियों में से एक कहानी पुरस्कार भी है. ऐसे में अगर आप भी जानना चाहते हो की पुरस्कार कहानी की मूल संवेदना क्या है और इसमें लेखक कहानी के जरिये क्या कहना चाहता है और उसके साथ ही साथ आप इस पुरस्कार कहानी के बारे में भी जानना चाहते हो, तो ये पोस्ट खास आपके लिए है.

Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai
Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai

जहाँ पर हम कहानी की मदद से इन सभी के सवालों के बारे में जानेनें. जिससे की आपके इस पुरस्कार कहानी से जुड़े सभी तथ्य एकदम क्लियर हो जाए. तो आते है सीधे मुद्दे पर और जानते है की Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai?

पुरस्कार कहानी से क्या तात्पर्य है ?

ये एक काल्पनिक कहानी है, जिसको जयशंकर प्रसाद द्वारा संपादन किया गया है. जिसमे जयशंकर प्रसाद द्वारा रास्ट्रीयता को दिखाते हुए भाव व्यक्त करने की कोशिश की गयी है. जिससे की लोगो के मन में प्यार शब्द को लेकर भाव और अर्थ बदले और सही मायने में प्यार क्या मतलब होता है, उसके बारे में समझ सके.

Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai ?

पुरस्कार कहानी की मूल संवेदना बस यही है की लेखक अपने विचारधारा के जरिये आपको बताना चाहता है की प्यार में कोई भी सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती और ना ही हम कभी उसको बोल कर किसी के सामने अपनी भावना व्यक्त कर सकते है. अगर हम आसान शब्दों में कहे तो लेखक अपनी कहानी के माध्यम से प्रेम मुक्ति चेतना को इतिहास को जोड़कर अपनी काल्पनिक कहानी के जरिये आपको प्यार का कोई भी रूप नहीं होता है ये बताने का प्रयास किया है.

जिसमे उन्होंने एक भारतीय महिला के गौरव का बखान, देश की सांस्कृतिक और खुद के प्रेम खातिर उसकी आत्म चेष्टा ने बेहद ही क्रूर फैसला लेने पर मजबूर किया. जिसमे ये साफ़ साफ़ दर्शाता है की प्यार में कोई भी कंडीशन नहीं होती और एक भारतीय महिला की गरिमा अपने देश प्रेम के हित के लिए अपने प्रेमी की जान के साथ ही साथ वो खुद की भी जान न्योछावर करने को तैयार हो जाती है.

Note: लेकिन अभी तक ये कहानी स्पष्ट रूप से किस purpose से बनायीं गयी है और इसका कोई भी ऐतिहासिक आधार स्पष्ट नहीं है.

पुरस्कार कहानी का सारांश

कहानी शुरू करने से पहले आप इस कहानी से जुड़े character के नाम जान ले, जिससे आपको ये कहानी समझने में और भी आसानी होगी.

मधुलिकाकौशल राज्य के सेनापति की पुत्री
अरुणमगध का राजकुमार

मधुलिका कौशल राज्य के राजा के सेनापति सिंहमित्र की पुत्री थी, जोकि अकेली एक ही पुत्री थी और उनके गांव में हर साल इंद्रपूजन हुआ करता था और कौशल राज्य के रास्ट्रीय नियम और परम्परा को ध्यान में रखते हुए इंद्रपूजन के साथ ही साथ किसानों का भी मेला लगता था. जिसके लिए हर साल गाँव के किसी एक कृषक की जमीन ले ली जाती थी. जिसके उपर राजा बुवाई करवाता था लेकिन सबसे बड़ी बात ये है की जब राजा किसी की जमीन लेता था, तो वो उसको वापिस नहीं करता था.

इस बार मधुलिका की जमीन चुनी गयी, जोकि पुरे गाँव में सबसे ज्यादा उपजाऊ थी और मधुलिका के परिवार की ज्यादा से ज्यादा जरूरते इसी जमीन से पूरी होती थी. राजा मधुलिका को जमीन लेने के बदले उसको उपहार स्वरुप स्वर्ण मुन्द्राएं दे रहा था लेकिन मधुलिका ये उपहार लेने से मना कर देती है. क्युकी मधुलिका का मानना था की वो उसके पूर्वजों की जमीन है. जिसको बेचने का अधिकार उसको भी नहीं है. जिसके चलते राजा द्वारा उसको दूसरी जगह जमीन दे दी जाती है और उसकी जमीन ले ली जाती है.

पुरस्कार कहानी की मूल संवेदना क्या है

ये सब अरुण खड़ा हुआ चुपचाप देख रहा था, जोकि मगध का राजकुमार था. अरुण मधुलिका को देखते ही मन ही मन उसको पसंद करने लगा था तो फिर उसने सीधे एकांत में जाकर मधुलिका को बोल दिया की वो उसको पसंद करता है, लेकिन इस बात को सुन कर मधुलिका ने उसको साफ़ मना कर दिया. क्युकी उसको ये नहीं पता था की आखिर ये अरुण लड़का कौन है.

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अब लगभग तीन साल का समय बीत चूका था और एक बार फिर से वही अरुण मधुलिका से मिलता है और इस बार धीरे धीरे उन दोनों की दोस्ती हो जाती है और फिर एक दुसरे से प्यार करने लगते है. अब वही राजकुमार मधुलिका को उसकी जमीन वापिस दिलवाने का वादा करता है, लेकिन मधुलिका को राजकुमार के इस गाँव में आने का उद्देश्य नहीं पता था पर समय रहते मधुलिका के सामने उस राजकुमार की सारी सच्चाई खुल गयी थी.

की वो राजकुमार कौशल राज्य के उपर आक्रमण करके उसको अपने कब्जे में लेना चाहता था, जैसे की ये बात मधुलिका को पता लगी तो उसको एकदम झटका लगा, क्युकी वो अपने अरुण को प्रेम करती थी और दूसरी तरफ उसका जमीर जोकि उसको ये सब में राजकुमार का साथ देने से मना कर रहा था. ऐसे में मधुलिका अपने देश से गद्दारी न करते हुए अपने राज्य के राजा को ये बात बता दी. जिसके बाद अरुण राजकुमार को बंदी बना लिया गया और उसके बाद उसको फांसी की सजा देने का हुक्म दे दिया गया.

Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai ?

अब फिर से राजा मधुकिला को खुश होकर पुरस्कार देने को कहता है और मधुलिका से कहा जाता है की मांगो, तुम्हे क्या चाहिए. इस बार फिर से मधुलिका मना कर देती है फिर राजा से विनम्रता पूर्वक कहती है की आप राजकुमार के साथ ही साथ उसको भी फ़ासी की सजा दे दी जाए. लेकिन राजा इस बात से मना कर देता है लेकिन मधुलिका की जिद्द के आगे राजा की एक ना चलती है और वो राजकुमार के साथ जाकर खड़ी हो जाती है.

नोट: ये कहानी बस यही तक थी और उसके आगे राजकुमार और उस मधुलिका का क्या हुआ इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है. बस इसमें आपको ये सिख मिलती है की प्यार हम कभी बोलकर नहीं जता सकते है वो चाहे देश के लिए हो या फिर किसी व्यक्ति के लिए. अगर ऐसे में मौत भी आती है तो एक सच्चे प्रेमी को वो भी मंजूर होती है.

निष्कर्ष – Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai

हमे उम्मीद है की आपको पुरस्कार कहानी से क्या तात्पर्य है और Puraskar Kahaanee Kee Mool Samvedna Kya Hai अच्छे से समझ आया होगा. अगर अभी भी आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट्स में बता सकते हो. हमे आपके सभी सवालों का जवाब देते हुए बहुत ख़ुशी होती है.

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