Mandal Dam Project, Jharkhand
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Mandal Dam Jharkhand Reconstruction begins/मंडल डैम निर्माण कार्य शुरू
प्रधानमंत्री Narendra Modi 5th january,2019 को Mandal Dam का शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद दशकों से लंबित इस अधूरे परियोजना को पूरा करने का फैसला किया है। 70 के दशक में किसानो की समृद्धि के लिए शुरू की गई इस परियोजना का काम अब पूरा हो रहा है। इससे झारखण्ड के 19 हज़ार हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिल पाएगी। फ़िलहाल मात्र 6 हज़ार हेक्टेयर भूमि में ही सिचाई हो पा रही है।
Mandal Dam का इतिहास
Mandal Dam का निर्माण झारखण्ड के Latehar जिला में उत्तरी कोयल नदी पर हुआ था।मंडल डैम परियोजना की आधारशिला 1972 में रखी गयी थी, जबकि कार्य 1980 में प्रांरभ हुआ था। डैम निर्माण की अनुमानित खर्च 1622 करोड़ थी , अभी तक 792 करोड़ रुपये खर्च हो चुके है।
1972 के बाद Mandal Dam के निर्माण में रुकावट क्यों ???
साल 1972 में संयुक्त बिहार क समय शुरू हुयी थी मंडल डैम परियोजना। इस परियोजना की आधारशिला 1983 केंद्र सरकार द्वारा राखी गयी थी। साल 1993 से इस का निर्माण कार्य बंद हो गया था ,वजह थी chief engineer की हत्या। निर्माण कार्य बंद होने के पीछे नक्लवाद भी कारण बताई जाती है।साल 1993 बिहार सरकार के वन विभाग ने इसकी कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी थी क्योकि सरकार को डर था की डैम में जल स्तर बढ़ने से आस -पास का इलाका बुरी तरह प्रभावित होगा। साथ ही इसके तहत पलामू टाइगर रिज़र्व को भी खतरा था।
Mandal Dam Project निर्माण में सरकार कितना खर्च करेगी ?
1972 में संयुक्त बिहार के समय 3० करोड़ की लगत से यह परियोना शुरू की गयी थी।इस डैम का निर्माण को लेकर सरकार ने 2,391.36 crore रुपये का बजट तैयार किया है ,इसमें 60% राशि केंद्र सरकार और 40% राशि रघुवर सरकार खर्च करेगी।इसमें भारत सरकार 1378.61 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बिहार सरकार को 213करोड़ तथा झारखण्ड सरकार मात्र 31 करोड़ रुपये खर्च करना है।
जानिये Mandal Dam की Storage capacity क्या होगी ???
इस बांध की ऊंचाई 222.40 फीट है। इस परियोजना में 405 लाख एकड़ फ़ीट पानी संचय करने का प्रावधान है। इस सिंचित पानी से सिंचाई करने हेतू मोहम्मदगंज में 2589 फ़ीट लम्बा बराज बनाया गया है। मोहम्मदगंज बराज से जिस मुख्य नहर का निर्माण किया गया है ,उसकी लम्बाई 110 km है।वर्तमान में इस परियोजना के तहत आने वाले मोहम्मदगंज का काम पूरा हो गया है। लेफ्ट कनाल का करीब 90 फीसदी काम हो गया है। राइट कनाल का काम भी पूरा हो गया है।राइट मेन कनाल के लिए वितरण व्यववस्था का काम 90 फीसदी और लेफ्ट कनाल का करीब 40 फीसदी काम पूरा हो गया है। इससे सिंचाई की व्यवस्था डैम में पड़ने वाले नौ गेट का निर्माण नहीं होने के कारण शुरू नहीं हो सकी है। गेट निर्माण नहीं होने के कारण रबी और खरीफ फसल की सिंचाई का पूरा उपयोग नहीं हो पता है।
झारखण्ड व बिहार के लोगो के लिए Mandal Dam इतनी महत्वपूर्ण क्यों ???
पीएम ने Mandal Dam का शिलान्यास करते हुए कहा कि झारखण्ड बिहार के किसानो के लिए यह डैम संजीवनी साबित होगा। हज़ारो एकड़ भूमि सिंचित होगी। पाइपलाइन जोड़कर आसपास के जलाशयों को पानी दिया जायेगा तो पेयजल की आपूर्ति भी होगी। डैम का काम पूरा से 19,604 hectare भूमि की सिंचाई हो सकेगी। इस परियोजना के start होने से स्थानीय लोगो को रोजगार क अवसर प्राप्त होंगे। इससे झारखण्ड में पलामू ,गढ़वा के साथ – साथ चतरा को भी फायदा होगा। बिहार के गया ,औरंगाबाद , अरवत , जहानाबाद को भी इससे फायदा मिलेगा। डैम उत्पादित बिजली से पलामू प्रमंडल रौशन होगा।इस परियोजना का लाभ झारखण्ड के कई गांवो को मिलेगा। प्रधानमंत्री द्वारा 1138 करोड़ की लागत से पलामू और गढ़वा में सोन नदी से सिचाईं और पेयजल उपलब्ध करने की योजना है। इस योजना के तहत जमींन के अंदर underground pipe line बिछाई जाएगी। underground pipe line बिछाने से भूमि अधिग्रहण की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पेय जल की समस्या भी दूर होगी और सिंचाई से किसान आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे।सरकार की इस पहल को स्थानीय लोगो ने तारीफ की है।
Mandal Dam को लेकर विपक्षी दल का मत
विपक्षी दल कांग्रेस ,झामुमो और झाविमो तीनो दल का कहना है कि इस डैम से झारखण्ड को कोई फायदा नहीं होगा ,ज्यादातर पानी बिहार को मिलेगा। कांग्रेस ने कहा कि वह इसका एक बूंद पानी बिहार नहीं जाने देगी तो झामुमो के हेमंत सोरेन का बयान है कि उनकी सरकार आई तो इस डैम का काम ही रुकवा देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस डैम के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिए थे। इसकी मूल वजह यह था कि इस परियोजना में जहां झारखण्ड की 2855 वर्ग किलोमीटर जमींन जाएगी और बड़े 1600 से अधिक परिवार विस्थापित हो जायेंगे। इतना ही नहीं इस परियोजना से झारखण्ड की महज़ 17 फीसदी भूमि सिंचित होगी ,जबकि बिहार की 83 फीसदी भूमि। यानि झारखण्ड को हर स्तर पर नुकसान होगा ,फिर ऐसी परियोजना के निर्माण का कोई मतलब नहीं रह जाता।
Mandal Dam के पूर्ण होने की Deadline
इस योजना को 2020 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। वैसे ,केंद्रीय जल संसाधन विभाग के मंत्री नितिन गडकरी इसको 2019 में ही पूरा कर लेने का दावा कर रहे हैं ।
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